धर्मेन्द्र सिंह ’धर्मा’
पेशे से मैं एक सहायक वास्तुकार(Assistant Architect) हूँ, मैंने अपना त्रिवर्षीय डिप्लोमा आर. बी. ऐस.पॉलिटेक्निक बिचपुरी आगरा से सन् 2017 में पूर्ण किया।
मैं अलीगढ़, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ और दिल्ली में एक कंपनी में कार्यरत हूँ।
अनेक कवियों की रचनाओं को पढ़ने के पश्चात और उनसे प्रेरित होकर मेरे अंदर भी रचनाओं को लिखने का भाव प्रकट हुआ। बस मेरा इतना सा ही परिचय है।
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लेखक की कृतियाँ
- कविता
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- अट्टालिका पर एक सुता
- आख़िर कहाँ चले गये हो तुम?
- काश!
- किस अधिकार से?
- कैसे बताऊँ?
- कोई जादू सा है
- खिड़की
- चाय
- जाग मुसाफ़िर, सवेरा हो रहा है....
- नव वर्ष आ रहा है
- ना जाने कब सुबह हो गयी?
- ना जाने क्यूँ?
- नफ़रतों के बीज ही बो दूँ
- बसंत आ गया है...
- मेरी यादें
- मैं ख़ुश हूँ
- लो हम चले आये
- शाम : एक सवाल
- सन्नाटा . . .
- सुकून की चाह है . . .
- स्वप्न
- हम कवि हैं साहेब!!
- क़िस्से
- ज़रा उत्साह भर...
- गीत-नवगीत
- नज़्म
- कहानी
- विडियो
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- ऑडियो
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