एकलव्य

अजय अमिताभ 'सुमन' (अंक: 224, मार्च प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

प्रश्न चिह्न सा लक्ष्य दृष्टि में, 
निज बल से सृष्टि रचता हूँ। 
फ़ुटपाथ पर रहने वाला, 
ऐसे निज जीवन गढ़ता हूँ। 
 
माना द्रोण नहीं मिलते हैं, 
भीष्म दृष्टि में ना रहते हैं। 
परशुराम से क्या अपेक्षण, 
श्राप गरल ही तो मिलते हैं। 
 
एकलव्य सा ध्यान लगाकर, 
निज ही शास्त्र संधान चढ़ाकर। 
फ़ुटपाथ पर रहने वाला, 
फ़ुटपाथ पर ही पढ़ता हूँ। 
 
ऐसे ही रण मैं लड़ता हूँ, 
जीवन रण ऐसे लड़ता हूँ। 

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