बन्धु बताओ!
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’बन्धु बताओ!
बदलें कैसे?
चलें समय के साथ
बचपन की
आचारसंहिता
आड़े आती रोज़
निडर परिस्थिति
गड़हा खोदी
गाड़े जाती ओज
अवसरवादी
वह चौराहा
बढ़ा रहा है हाथ
अंकगणित का
यह सिखलाना
सोलह आधा आठ
बीजगणित का
मानक अक्षर
संख्या जैसा पाठ
रेखाओं का
गणित हथेली
खींच रही है नाथ
परिवर्तन पर
वर्तमान का
पूरा है अधिकार
लोकलीक से
लगा हटाने
पश्चिम का सिंगार
अँधियारे में
कौन दिखाये ?
कोई सच्चा पाथ
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