प्यास
कृष्णा वर्मापिछली बार भारत गई, तो उदयपुर देखने की बहुत इच्छा हुई। हफ़्ते भर के लिए वहाँ होटल बुक करवाया और घूमने चली गई। होटल पहुँचते ही रूम सर्विस वाले लड़के ने मेरे दोनों बैग उठाए और कमरे तक छोड़ने आया। सामान रखते हुए बोला, “ लगता है आप कहीं बाहर देश से आईं हैं।"
"जी ठीक पहचाना।"
"कौन देश में रहती है?"
"कनेडा।"
"सुना है, बहुत सुन्दर देश है।" कमरे की बत्ती जलाते हुए लड़के ने बात आगे बढ़ायी, "यह भी सुना है कि बिजली की कोई कमी नहीं वहाँ, और हवा पानी तो एक दम शुद्ध। क्या यह सच है कि पानी अनंत मात्रा में है वहाँ?"
"हाँ, बिलकुल सच!"
"और यहाँ, पीने तक को साफ़ पानी नहीं है मैडम, हर शहर में पानी की बेहिसाब किल्लत है। आप तो बहुत भाग्यशाली हैं ऐसे देश में रहते हैं जहाँ कोई अभाव नहीं।"
"ऐसा नहीं है, किसी ना किसी चीज़ का अभाव तो हर जगह होता है। इतना पानी होते हुए भी हमारे कण्ठ सदा शुष्क ही रहते हैं।"
आश्चर्य चकित सा हो लड़के ने फिर पूछा, "भला वह कैसे?"
"अपनों को मिलने की प्यास से! ऐसी प्यास जो किसी पानी से नहीं बुझती। अपने देश में रहते हुए कम से कम तुम्हारे जीवन में ऐसा अभाव तो नहीं है ना।"