किरदार
अजय अमिताभ 'सुमन'क्या ख़बर भी छप सकती है,
फिर तेरे अख़बार में,
काम एक है, नाम अलग बस,
बदलाहट किरदार में।
अति विशाल हैं वाहन जिसके,
रहते राज निवासों में,
मृदु काया सुंदर आनन पर,
आकर्षित लिबासों में।
ऐसों को सुन कर भी क्या,
ना सुंदरता विचार में,
काम एक है, नाम अलग बस,
बदलाहट किरदार में।
रोज़ रोज़ का धर्म युद्ध,
मंदिर मस्जिद की भीषण चर्चा,
वोही भिन्डी से परेशानी,
वोही प्याज़ का बढ़ता ख़र्चा।
जंग छिड़ी जो महँगाई से,
अब तक है व्यवहार में,
काम एक है, नाम अलग बस,
बदलाहट किरदार में।
कुछ की बात बड़ी अच्छी,
बेशक पर इसपे चलते क्या,
माना कि उपदेश बड़े हैं,
पर कहते जो करते क्या?
इनको सुनकर प्राप्त हमें क्या,
ना परिवर्तन आचार में,
काम एक है, नाम अलग बस,
बदलाहट किरदार में।
सम सामयिक होना भी एक,
व्यक्ति को आवश्यक है,
पर जिस ज्ञान से उन्नति हो,
बौद्धिक मात्र निरर्थक है।
नित अध्ययन रत होकर भी,
है अवनति संस्कार में,
काम एक है, नाम अलग बस,
बदलाहट किरदार में।
क्या ख़बर भी छप सकती है,
फिर तेरे अख़बार में,
काम एक है, नाम अलग बस,
बदलाहट किरदार में।
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