गर चाहिये
मर्यादित जीवन
राम है सेतु


प्रभु बतायें
कैसे सँभाला जाये
रावण-मन


हो सदगति
राम नाम का जाप
सर्वदा करें


पधारो राम
पत्थर सा हूँ पड़ा
अहिल्या बनूँ


डूबता सूर्य
देता यही संदेशा
राम है सत्य

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

अनूदित कविता
कविता
कविता - हाइकु
नज़्म
ग़ज़ल
गीत-नवगीत
लघुकथा
विडियो
ऑडियो
लेखक की पुस्तकें