चाणक्य जभी पूजित होंगे
अजय अमिताभ 'सुमन'जिस राष्ट्र में बेहतर शिक्षक बन जाए अपवाद,
उस राष्ट्र की प्रगति में फिर क्यों न हो अवसाद?
क़ाबिल शिक्षक एक राष्ट्र की बेशक ज़िम्मेदारी है,
वो राष्ट्र है कैसा जिसका शिक्षक एक व्यापारी है?
मुद्रा नियमित शिक्षा का क्या विनिमय अर्थ महान,
येन केन धन अर्जन हीं जब बनते कर्म प्रधान।
उस विद्यालय में तब कोई ज्ञान का तर्पण ना होगा,
विद्यार्थी हो अर्थ पिपासु ज्ञान का दर्पण क्या होगा?
एक राष्ट्र का शासक केवल तत्पर शक्ति अर्जन में,
परतंत्र हो शिक्षक शिक्षण विवश ज्ञान विसर्जन में।
तब राष्ट्र के बच्चों की वाणी में गर्जन लुप्त रहा,
जब ऐसे हो राष्ट्र नियंता राष्ट्र विवर्धन सुप्त रहा।
याद रहे जब धनानंद ने शिक्षक का अपमान किया,
धन अर्थ का मात्र विज्ञ न शिक्षा का सम्मान किया।
तब कैसे एक शिक्षक की चोटिल चोटी लहराई थी,
शिक्षक के आगे शासक की शक्ति भी भहराई थी।
किसी राष्ट्र के आनन में चाणक्य जभी पूजित होंगे।
धनानंद मिट जायेंगे चंद्रगुप्त तभी शोभित होगें।
जब राष्ट्र की थाती पर, शिक्षक शिक्षण का जय होता,
वो राष्ट्र मान ना खोता है, ना महिमा में कोई क्षय होता।
इसीलिए हे शासक गण याचन ऐसा ही शासन दो,
शिक्षक की गरिमा बची रहे, स्वतंत्र रहे अनुशासन दो।
फिर ऐसे ही अनुशासन से, ये देश मेरा जन्नत होगा,
चाणक्य जभी पूजित होंगे, ये देश तभी उन्नत होगा।
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