वो गाँव का मौसम याद पुरानी
रितेश इंद्राश
वो पीले-पीले सरसों का फूल
सुबह में लटकता शीत का बूंद
दिखने में मौसम बहुत ही सुहाना
सुबह मेरा उठना खेतों में जाना
सुहाना सा मौसम मेरा मुस्कुराना
उसमें भी चिड़ियों का अलग चहचहाना
सरसों के फूलों पर तितलियों का आना
उन्हें देखकर मेरा मस्त हो जाना
मेरे गांव का मौसम याद पुरानी
दोस्तों के संग दूर-दूर खेलने जाना
मेड़ो पर बैठकर गन्ना चबाना
दोस्तों के संग घंटो बातें बनाना
वह बचपन की बातें याद पुरानी
कहां गए वह दिन वह मौसम सुहाना।