रितेश इंद्राश - मुक्तक - 001

15-02-2024

रितेश इंद्राश - मुक्तक - 001

रितेश इंद्राश (अंक: 247, फरवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
मुश्किल है मगर जीना पड़ेगा
ज़हर ज़िन्दगी में पीना पड़ेगा
शिव कहलाना तो आसान है लेकिन
शिव बनने के लिए विष पीना पड़ेगा। 
 
2.
चलते-चलते न जानें किस डगर आ गए
पहले जहाँ थे लगता वहीं आ गए
अब वो ख़ुशियाँ वो रौनक़ नहीं है मगर
भटके-भटके हुए अपने घर आ गए। 
 
3.
देखो तुम्हारे बग़ैर जीकर दिखा दिया मैंने
तुम्हें याद कर कर भुला दिया मैंने
तुम्हारी यादें मेरे खिड़कियों से झाँकतीं थीं
एक दिन उठा और भगा दिया मैंने। 
 
4.
तेरे नाम से नफ़रत इस क़द्र हो गई है
कोई अच्छा भी हो तो देखता तक नहीं
गोरे चेहरे, खुले बालों पर भरोसा नहीं रहा
एक बेवफ़ा जो दिल में नफ़रत भर गई है। 
 
5.
आँखों से इश्क़ होंठों से गुरेज़ करते हैं
मोहब्बत की गुज़ारिश तो रोज़ करते हैं
पास आने पर दूरियाँ बढ़ा लेते हैं
बात होती तो है मगर दूर दूर रहते हैं। 

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