वह सड़क
पुष्पा मेहरावह मन्दिर और
मन्दिर के पास से
गुज़रती सड़क
जिस पर कभी
मेरे पग चिन्ह अंकित थे
बीते वर्षों बाद
उसके बदले हुए
डामरी लिबास में
दबी उसकी
सोंधी सुगंध लिए
धूल के कण
मुझे आज भी
सोना–चन्दन लगे
खट्टी–मीठी
कटारों से भरे वृक्षों की
यादों में खोई मैं
उसके बदलाव को
कौतूहल से निहारती रही
और वह मुझसे मेरी
पहचान पूछती लगी |