ऊर्जा
रेखा भाटिया
मैं तुम्हारा मन नहीं
मैं तुम्हारा अपना ही गढ़ा अन्धकार हूँ
मैं तुम्हारी आत्मा नहीं
मैं तुम्हारी अपनी ही गढ़ी व्यथा हूँ
मैं तुम्हारा प्रेम नहीं
मैं तुम्हारा अपना ही गाया क्रंदन हूँ
मैं तुम्हारा मस्तिष्क नहीं
मैं तुम्हारी अपनी ही सुप्त अवस्था हूँ
मैं तुम्हारा शरीर नहीं
मैं तुम्हारा अपना ही पाला हुआ भ्रम हूँ
मैं तुम्हारा नाम नहीं
दी हुई दूसरों की अभिलाषा हूँ
वक़्त, काल, अवस्था, परिस्थिति,
मानसिकता, शक्ति, सामर्थ,
संघर्ष, हौसला, मनोबल
मैं वह कुछ भी नहीं
मैं एक अनुभूति मात्र हूँ
गवाह हूँ अभिव्यक्तियों की
मैं अनहद हूँ
जिसमें समाया है सम्पूर्ण
तू और मैं
न मैं भाव हूँ, न मैं शब्द हूँ
मैं बिंदु में समायी अनंत रेखा हूँ
न जन्म, न ही मृत्यु
एक ऊर्जा
बदलती रहती हूँ . . .
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