उपवन के फूल
त्रिलोक सिंह ठकुरेलाहम उपवन के फूल मनोहर
सब के मन को भाते।
सब के जीवन में आशा की
किरणें नयी जगाते॥
हिलमिलहिलमिल महकाते हैं
मिलकर क्यारी क्यारी।
सदा दूसरों के सुख दें,
यह चाहत रही हमारी॥
काँटों से घिरने पर भी,
सीखा हमने मुस्काना।
सारे भेद मिटाकर सीखा
सब पर नेह लुटाना॥
तुम भी जीवन जियो फूल सा,
सब को गले लगाओ।
प्रेम गंध से इस दुनियाँ का
हर कोना महकाओ॥