छोटा हाथी
त्रिलोक सिंह ठकुरेलाछोटा हाथी उछला कूदा
धूल उड़ाता डोला।
मम्मी मैं पढ़ने जाऊँगा
सूँड़ उठाकर बोला॥
नई पुस्तकें लाकर देना
बैग नया दिलवाना।
दो खाने का टिफ़िन और
पानी की बोतल लाना॥
अक्षर अक्षर पोथी सीखूँ
सीखूँ सभी पहाड़े।
टाई कोट पैंट पहनूँगा
जब आयेंगे जाड़े॥
माँ बोली-सुन मेरे बच्चे
तेरी बात सही है।
पढ़ने लिखने से अच्छी
तो कोई बात नहीं है॥
तुझे पता है हर दिन ही
तू कितना पीता-खाता।
इतनी बड़ी न बोतल मिलती
टिफ़िन नहीं मिल पाता।
बातें अच्छी लगें तुम्हें
या बुरी, तुम्हारी मर्ज़ी।
सिल दे जो पोशाक तुम्हारी
नहीं मिलेगा दर्जी॥
बिना टिफ़िन के विद्यालय में
बोलो क्या खाओगे।
बिन कपड़ों के सभी हँसेंगे,
तब तुम शरमाओगे॥