नया वर्ष

त्रिलोक सिंह ठकुरेला (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

नये वर्ष की नयी सुबह ने 
रंग बिखराये नये नये। 
सब में नये नये सूरज ने 
स्वप्न जगाये नये नये॥
 
नयी उमंगें, नयी तरंगें, 
नयी ताल, संगीत नया। 
सब में जगीं नयी आशाएँ 
नयी बहारें, गीत नया॥
 
नयी चाह है, नयी राह है, 
नयी सोच, हर बात नयी। 
नया जागरण, नयी दिशाएँ, 
नयी लगन, सौग़ात नयी॥
 
सब में नयी नेह-धारायें 
लेकर आया वर्ष नया। 
नया लगा हर एक नज़ारा, 
सब में छाया हर्ष नया॥

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