रंग बरसेंगे

01-06-2024

रंग बरसेंगे

त्रिलोक सिंह ठकुरेला (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

नये सितारे चमक उठेंगे, 
जबकि प्रेम से तुम बोलोगे। 
सुख के सागर उमड़ पड़ेंगे, 
जबकि बूँद सुख की तुम दोगे॥
 
कभी सहायक बनकर देखो, 
तुम भी ख़ूब मदद पाओगे। 
लोगों के दुःख-दर्द मिटाओ, 
सबके प्यारे बन जाओगे॥
 
सारा जगत तुम्हारा होगा, 
यदि तुम त्याग अहम का कर दो। 
बाधाओं से रहित जगत है, 
यदि उसमें अपनापन भर दो॥
 
यदि करुणा से भरे रहें मन, 
क्यों इस जग में जन तरसेंगे। 
ज़रा मुस्कुरा दो जी भरकर, 
हर पल नित नव रंग बरसेंगे॥

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