बारिश
त्रिलोक सिंह ठकुरेलाआसमान में बादल छाए।
सूरज दादा नजर न आए॥
छम छम छम छम बरसा पानी।
राहगीर ने छतरी तानी॥
फैल गई सुंदर हरियाली।
हवा बही सुख देने वाली॥
पत्ते, फूल, पेड़ मुसकाये।
चिड़ियों ने मिल गाने गाये॥
झील भरी, नदिया लहराई।
चाचा जी ने नाव चलाई॥
खेल खेल बच्चे मुसकाये।
ऐसी बारिश फिर फिर आये॥
1 टिप्पणियाँ
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त्रिलोक सिंह। ठकुरेला की। बरसात पर एक सुंदर बाल कविता। हार्दिक बधाई। ●राज कुमार जैन राजन, आकोला राजस्थान