गौरैया

त्रिलोक सिंह ठकुरेला (अंक: 180, मई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

घर में आई गौरैया।
झूम उठा छोटा भैया॥
 
गौरैया भी झूम गयी।
सारे घर में घूम गयी॥ 
 
फिर मुँडेर पर जा बैठी। 
फिर आँगन में आ बैठी॥ 
 
कितनी प्यारी वह सचमुच।
खोज रही थी शायद कुछ॥
 
गौरैया ने गीत सुनाया।
भैया दाना लेकर आया॥ 
 
दाना रखा कटोरे में।
पानी रखा सकोरे में॥ 
 
फुर्र उड़ी वह ले दाना।
सबने मन में सुख माना॥ 

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