आज के लिए मेरे शब्द

22-04-2014

आज के लिए मेरे शब्द

कविता गुप्ता

 

आज, फिर मन में आया, 
शब्दों की पिटारी खोल लूँ। 
विवेक का पल्लू पकड़ कर
चुनिंदा, जादुई शब्द ढूँढ़ लूँ। 
 
जिनमें हो आकर्षण अनन्त
हों मस्त पुरवाई से, स्वछंद। 
सुबह की ओस में नहाए हुए
लिए भीनी 2 फूलों की सुगंध। 
 
राही कुछ सीखें, ऐसा लुभाएँ, 
वात्सल्य भरी ठंडक पहुँचाएँ। 
एक नन्हा जीव दे रहा दस्तक
द्वार पर ‘स्वागत है’ लिख जाएँ। 

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