आम आदमी सेलेब्रिटी से क्यों नहीं सीखता!
सुदर्शन कुमार सोनी
सेलेब्रिटी सेलेब्रिटी होता है। वो हर चीज़ को एक नये अंदाज़ से एक नयी स्टाइल से जोश पूर्ण ढंग से करता है। सुख की घड़ी हो या दुख का रेडियो हो वो मातम नहीं मनाता! चीज़ों को दिल पर नहीं लेता। जबकि आम आदमी बार-बार दिल पर लेता है। जैसे कि दिल नहीं सिलबट्टा हो गया। अपनी हताशा परेशानी दुख के मसाले को चाहे जब उस पर पीसने लगना। गंगाधर को आम की यही बात नहीं भाती!
कैसा भी समय हो। हमेशा पाजीटिविटी कैसे बनाये रखें। हमें उनसे सीखना चाहिये। कभी दिल छोटा नहीं करना चाहिये। हमारे समय के अख़बार का यह रोज़ का अनिवार्य समाचार होता है कि अमुक युवक ने मायके गयी पत्नी के लौट कर नहीं आने पर सल्फास पी लिया या फाँसी लगा ली। घटना का संक्षिप्त विवरण यों रहता है कि पत्नी किसी बात पर नाराज़ होकर मायके चली गयी उसका मूलभूत अधिकार होता है नाराज़ होना हाँ वो रूठती नहीं रूठती प्रेमिका है। युवक दिलोजान से पत्नी को प्रेम करता था। दो दिन बाद ही उसका वियोग बर्दाश्त नहीं होने से उसे लेने मायके रवानगी डाल गया। पर उसने आने से इंकार कर दिया। इस इंकार को इसने दिल पर ले लिया। नतीजा जीवन का अंत कर लिया।
अरे यार सेलेब्रिटी से सीखो। नहीं देखा कि एक सेलेब्रिटी ने अपनी दूसरी पत्नी को तलाक़ दे दिया। उसके बावजूद न तो उनके और न ही पत्नी के चेहरे पर तनिक सा तनाव झलका। बल्कि उन्होंने कहा कि काफ़ी सोच-विचार के बाद वे दोनों अलग हो रहे हैं। वे हमेशा एक अच्छे दोस्त बने रहेंगे। वे दोनों अपने एक प्यारे से बच्चे की ज़िम्मेदारी हमेशा ज़िम्मेदार पेरेंट की तरह निभायेंगे। एक प्रोजेक्ट में कार्य करते ही दोनों में मेल हुआ था। कितना बोल्ड स्टेटमेंट दिया है दोनों ने कि बेमेल होने के बाद भी दोनों कई प्रोजेक्ट में आगे साथ कार्य करते रहेंगे।
ऐमज़न के जेफ बेजोस ने भी कुछ समय पहले अपनी पत्नी को तलाक़ दिया था। ज़रा सी भी शिकन न इनके और न ही पत्नी के चेहरे पर आयी रही होगी। कहाँ से आयेगी वो तो तलाक़ के बाद दुनिया की तीसरी सबसे अमीर महिला बन एक नयी सेलेब्रिटी हो गयी। सीखो भाई। सीखने की कोई उम्र नहीं होती।
और एक आम आदमी आप हैं कि पत्नी ज़रा सा रूठ कर मायके चली गयी तो घनघोर तनाव की नाव पर सवार हो गये। मायके तक पहुँच गये। नहीं चलने तैयार हुई तो आप परलोक की यात्रा पर चल दिये। अरे क्या हो जाता कुछ दिन नहीं आती तो। वहाँ नहीं देख रहे कि वे दो चार साल में तो पार्टनर ही बदल लेते हैं। और तुम हो कि एक ही औरत के साथ ज़िन्दगी भर रहने के लिये मरे जा रहे हो। अरे ठीक है। सात फेरे लिये जाते हैं। सात जनम की बात की जाती है। लेकिन ये तो वैवाहिक समारोह की बातें हैं। शुभ विवाह की ‘रात गई सारे रिश्तेदार अपने अपने जगह को गये और ऐसी बातें भी गई’ हो जाती हैं।
अब तो ‘मेरे आम भाई’ सिंगल मदर का फ़ैशन है। उससे औरत की स्टेटस समाज में कम नहीं होता उलटा बढ़ जाता है। यदि तुम्हारी धर्मपत्नी मायके से लौट कर तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती तो इतना भावुक क्यों हो जाते हो। रोज़ अख़बार पढ़ते हो उसमें नहीं देखते कि सेलेब्रिटी दाम्पत्य के रिश्ते को कैसे एक डील मानकर डील करते हैं।
आम दंपतियों के बीच बढ़ रहे तनाव दूर हो सकते हैं। यदि वे आसपास के सेलेब्रिटी का अनुसरण करने लगें। अब आप कहोगे कि गंगाधर की ये सलाह सामाजिक ताने बाने के लिये ग़लत है। तो फिर ज़िन्दगी भर आम बने रहो यदि ख़ास बनना है तो ख़ास आदतें तो कुछ न कुछ होना।
ये तो फिर भी पंद्रह साल साथ रहे हैं। बहुत हैं जो कि पन्द्रह माह साथ निभा लें तो बहुत बड़ी बात होती है। दो साल चार साल हो जायें तो तो मीडिया ही बार-बार हिसाब करने लगता है कि उन्हें अब दो साल हो गये। अब चार और अब तो हद हो गयी कि दस साल से साथ रह रहे हैं। गंगाधार को तो लगता है कि कई बार मीडिया की बात रखने ही सेलेब्रिटी एक दूसरे से पार्ट हो जाते हैं। एंजिला जोली जो कि ब्रैड पिट की दस सालों तक हमजोली रहीं का उदाहरण देख तो ऐसा ही लगता है। मीडिया ने नाक में दम कर दिया था। अब इनका एक साल हो गया। अब दो। अब तो पाँच हो गये। फिर दस साल होने पर तो रोज़ ही अख़बार रंगे रहने लगे कि आदर्श कपल हैं। लो भैया आपकी बात रखने आदर्श सामने रख दिया। हाँ सेलेब्रिटी कपल का आदर्श यही होता है कि जन्म भर एक के साथ नहीं निभ सकती। और यहाँ एक आप आम कपल इस आदर्श को पल-पल छाती पर बोझ की तरह उठाये घूम रहे हो। और वे वहाँ अपनी तीसरी या चौथी पार्टनर के साथ खुश-खुश घूम रहे होते हैं! ज़िन्दगी जीने का नाम है घिस्सू आम आदमी महाराज। क्या इन्हीं घिस्सू आदतों के कारण आम आदमी सेलेब्रिटी नहीं बन पाता?
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
-
- एनजीओ का शौक़
- अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद प्रशिक्षण व शोध केन्द्र
- अगले जनम हमें मिडिल क्लास न कीजो
- अन्य क्षेत्रों के खिलाड़ियों के गोल्ड मेडल
- असहिष्णु कुत्ता
- आप और मैं एक ही नाव पर सवार हैं क्या!
- आम आदमी सेलेब्रिटी से क्यों नहीं सीखता!
- आर्दश आचार संहिता
- उदारीकरण के दौर का कुत्ता
- एक अदद नाले के अधिकार क्षेत्र का विमर्श’
- एक रेल की दशा ही सारे मानव विकास सूचकांको को दिशा देती है
- कअमेरिका से भारत को दीवाली गिफ़्ट
- कुत्ता ध्यानासन
- कुत्ता साहब
- कोरोना मीटर व अमीरी मीटर
- कोरोना से ज़्यादा घातक– घर-घर छाप डॉक्टर
- चाबी वाले खिलौने
- जनता कर्फ़्यू व श्वान समुदाय
- जियो व जीने दो व कुत्ता
- जीवी और जीवी
- जेनरेशन गैप इन कुत्तापालन
- टिंडा की मक्खी
- दुख में सुखी रहने वाले!
- धैर्य की पाठशाला
- नयी ’कोरोनाखड़ी’
- नये अस्पताल का नामकरण
- परोपकार में सेंध
- बेचारे ये कुत्ते घुमाने वाले
- भगवान इंसान के क्लासिक फर्मे को हाईटेक कब बनायेंगे?
- भोपाल का क्या है!
- भ्रष्टाचार व गज की तुलना
- मल्टीप्लेक्स और लुप्तप्रायः होता राष्ट्रीय चरित्र
- मार के आगे पति भी भागते हैं!
- मुर्गा रिटर्न्स
- युद्ध तुरंत बंद कीजो: श्वान समुदाय की पुतिन से अपील
- ये भी अंततः गौरवान्वित हुए!
- विज्ञापनर
- विदेश जाने पर कोहराम
- विवाद की जड़ दूसरी शादी है
- विश्व बैंक की रिपोर्ट व एक भिखारी से संवाद
- शर्म का शर्मसार होना!
- श्वान कुनबे का लॉक-डाउन को कोटिशः धन्यवाद
- संपन्नता की असमानता
- साम्प्रदायिक सद्भाव इनसे सीखें!
- सारे पते अस्पताल होकर जाते हैं!
- साहब के कुत्ते का तनाव
- सूअर दिल इंसान से गंगाधर की एक अर्ज
- सेवानिवृत्ति व रिटायरमेंट
- हाथियों का विरोध ज्ञापन
- हैरत इंडियन
- क़िला फ़तह आज भी करते हैं लोग!
- आत्मकथा
-
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 1 : जन्म
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 2 : बचपन
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 3 : पतित्व
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 4 : हाईस्कूल में
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 5 : दुखद प्रसंग
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 6 : चोरी और प्रायश्चित
- लघुकथा
- विडियो
-
- ऑडियो
-