शीत पर हाइकु - पुष्पा मेहरा
पुष्पा मेहरा१.
शैतान हवा
शाखाओं से उलझे
काँपते पत्ते।
२.
हिम चोटी पे
ठिठुरी थिर बैठी
शीत-चाँदनी!
३.
सूर्य सम्राट
शीत के चंगुल में
निढाल पड़े!
४.
मीठी छुवन
धूप की पा धरती
रोमांच–भरी!
५.
नादान ओस
पानी भरे ताल में
मोती ढूँढती !
६.
शीत की लाठी
धूप की पीठ पड़ी
धूप तो भागी।
७.
नन्ही सी ओस
नदी में कूद पड़ी
सागर हुई!
८.
शीत की धूप
भूली है रोब-जोश
कोने में छिपी।
९.
खोल झरोखा
बच्चों की टोली संग
धूप आ खेली।
१०.
हवा निखट्टू
हिमानी बनी घूमे
कटारी बनी।