रोटी कहाँ छुपाई

01-08-2021

रोटी कहाँ छुपाई

प्रभुदयाल श्रीवास्तव (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

लगे देखने  टेलीवीज़न,
चूहे घर के सारे।
देख रोटियाँ परदे पर,
उछले ख़ुशियों के मारे।
 
सोच रहे थे एक झपट्टे,
में रोटी लें बीन।
लेकिन बिजली बंद हुई तो,
रोटी हुई विलीन।
 
लिए कई फेरे टीवी के,
बड़ा ग़ज़ब है भाई।
बिजली बंद हुई, टीवी ने
रोटी कहाँ छुपाई?

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