अब नहीं है इस पेड़ पर पंछियों का बसेरा साँप बनाकर ले गया है उन्हें कोई आस्तीनों का सपेरा और पता दे गया है बाँबियों का यह कह कर कि मौक़े बेमौक़े पत्र ज़रूर लिखना। या उजाले की जयंती।