212 212 212 212
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
मुझपे मौला करम की नज़र कीजिए
अब दुवाओं में मेरी असर कीजिए
मैं हक़ीक़त में कितना गुनहगार हूँ
मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए
अब इधर कीजिए या उधर कीजिए
तेरा बंदा हूं चाहे जिधर कीजिए
आसरा है फक़त तेरा ही बस मुझे
रहम कुछ तो मेरे हाल पर कीजिए
रात ग़म की अंधेरी ये कटती नहीं
जल्द इसकी ख़ुदाया सहर कीजिए
अर्ज़ इतनी है या रब मुझे बख़्श दे
जब मरूँ खुल्द में मेरा घर कीजिए
है निज़ाम इस जहाँ का फ़ना होंगे सब
आगे आसान मौला सफ़र कीजिए
अब इधर कीजिए या उधर कीजिए
तेरा बंदा हूं चाहे जिधर कीजिए
– निज़ाम-फतेहपुरी