सूट पहनकर, बूट पहनकर,
और लगाकर टाई।
जाना था दफ्तर, मेंढ़क ने,
अपनी बाईक उठाई।
किक पर कूदा उचक- उचककर,
पूरा ज़ोर लगाया।
पर बेचारा मेंढ़क, बाईक,
चालू न कर पाया।
अब तो था लाचार पहुँच वह,
कैसे दफ़्तर पाए।
टर्राने के सिवाय उसे अब,
कुछ भी समझ न आये।