भाभी से विनती

01-08-2020

भाभी से विनती

अमिताभ वर्मा (अंक: 161, अगस्त प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

प्यारी भाभी!
एक विनती सुनोगी?
रक्षा-बन्धन पर भैया को
फोन पर आने दोगी?


उसे लगता है उसकी
बहन बहुत बुरी है
मेरे होठों पर ज़हर
हाथों में छुरी है


पहले वह मुझे गुड़िया समझता था
आँगन की चिड़िया समझता था
पर मैं अब भी तो वही हूँ
हमारे बचपनवाली परी हूँ


भैया का स्नेह मेरे
घावों पर मरहम लगाता था
उसकी तक़रार, उसकी मनुहार
उसका प्यार बहुत भाता था


गुण कहाँ था कोई मुझमें
बस, उसे ही दिखाई देता था
कितना हँसते थे हम साथ-साथ
वह मेरे दुःख में कितना रोता था!


अब भी उसका सुख चाहती हूँ
तुम सबकी राह ताकती हूँ
अनर्थ क्या हो गया मुझसे
निरन्तर व्यर्थ आँकती हूँ


कहो तो! एक बार बात करने से
उसका क्या जाएगा?
मेरे व्याकुल हृदय का
दर्द मिट जाएगा


गिनती की होती हैं साँसें 
न जाने कब तक चलेंगी
रक्षा-बन्धन पर भैया को
फोन पर आने दोगी? 
 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कहानी
लघुकथा
साहित्यिक आलेख
नाटक
किशोर साहित्य कहानी
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
एकांकी
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में