रश्मि विभा त्रिपाठी ‘रिशू’ – 007
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
1.
जब कह दी
हवा ने कुछ बात
नदी हँस दी!
2.
नदी वाचाल
कहे हँस-हँसके
सिन्धु से हाल।
3.
बाढ़ में बहे
ग़रीब के सपने
किससे कहे?
4.
पर्वत, वन
सम्राज्ञी नदी का ही
वहाँ शासन।
5.
क्या बराबरी
लाँघ के गिरि जब
नदी उतरी।
6.
है छरहरी
फ़ुर्ती में पहाड़ से
नदी उतरी।
7.
है राजधानी
पहाड़ पर बसी-
नदिया रानी!
8.
फूटी जो हँसी
नदिया के मोह में
पहाड़ी फँसी।
9.
देखके रोया
नदिया को पहाड़
सूखते हाड़।
10.
उठता झाग
फिर भी नहीं धुले
नदी के दाग़!
11.
नदी के तीरे
उर्मियाँ बजा रहीं
ढोल-मँजीरे।
12.
रोगिणी नदी
संक्रमित होगी ही
सम्पूर्ण सदी।
13.
नदिया पीती
उपेक्षा का गरल
उन्मन जीती।
14.
ताप से भुना
तभी इंसाँ ढूँढ़ता
गंगा-जमुना।
15.
मन-नदिया
भावों के भव्य मोती
नित्य सँजोती!
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