प्रेम हाइकु
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'1.
करे निस्तार!
सच्चा सलाहकार
स्नेह तुम्हारा।
2.
तुम्हें वन्दन!
है तरनतारन
तुम्हारा नेह।
3.
कहीं अटकूँ-
तुम विश्वकोश-से
बचूँ दोष से!
4.
लेती बलाएँ!!
आए जूड़ी न खाँसी
प्रीति है माँ-सी।
5.
तुम्हीं परिधि!
बोलो कौन सी विधि
बदलूँ दिशा?
6.
माथे लगाऊँ
प्रभु का प्रसाद है
प्रेम तुम्हारा!
7.
मरुथल में
जैसे हो बरसात
तुम्हारा साथ!
8.
ईश न दूजा!
तुम्हें सर्वस्व माना
नेम से पूजा।
9.
विघ्नों ने घेरा
अमोघ अस्त्र मेरा
प्रिय का प्रेम!
10.
अश्रु व आहें
एकल उपचार
तुम्हारी बाँहें!
11.
तुमने दी है
प्रेम की छाँव घनी
अमृत बनी!
12.
प्रिय के लिए
प्रज्वल प्रतीक्षा के
आँखों में दीए।
13.
तुम्हारे बिन
सारे रंग हैं फीके
क्या करूँ जीके?
14.
कितने रंग!
करे ख़ूब बौछार
तुम्हारा प्यार।
15.
मेरी झोली में
तेरे नेह के फूल
हरेंगे शूल।
16.
तुम्हारा प्रेम
प्राण-मन की पूँजी
हर्षाता है जी!
17.
पाथर ही थी
प्रिये तू शिल्पकार
गढ़ा आकार!
18.
हल किये हैं
पढ़ पीड़ा के प्रश्न
प्रिये तू कृष्ण!
19.
कौन सी विधि
पाती ये नेह-निधि
ईश-कृपा है!
20.
शीतल छाँव
ज़िन्दगी जिला देता
प्रीत का गाँव।
21.
प्रेम रिश्तों से
हो तितर-बितर
गया किधर?
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