रश्मि विभा त्रिपाठी ‘रिशू’ – 006
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
1.
भटकी निशा
चाँद ही दिखाएगा
आकर दिशा।
2.
तम ने छीना
रजनी बाला का वो
दुपट्टा झीना!
3.
जागा चंद्रमा
चहकी जब ज्योति
सहमी अमा।
4.
बात-बात में
हँस देते जुगनू
शांत रात में।
5.
चले रात में
जुगनू लेकरके
टार्च हाथ में।
6.
नवल गात
धवल चाँदनी में
नहाई रात।
7.
मौन है रात
तमिस्रा कर रही
बेबाक बात।
8.
रात में झील
तारों के दीप बाले
सजे कण्डील।
9.
घुमाती रात
सपनों का शहर
मुझे अक़्सर!
10.
तम का घात
सहमी-सहमी सी
जागती रात।
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