रक्तबीज भाग – 3
महेशचन्द्र द्विवेदीभाग - 3
दूसरे दिन स्थानीय इंटरपोल कार्यालय का फोन मिलाकर बिल ने ऐल्बर्ट नामक उस अधिकारी से सम्पर्क स्थापित किया जिसने मुझे बंदी बनाया था। उसने ऐल्बर्ट को बताया कि उसके द्वारा एयरपोर्ट पर बंदी बनाया गया व्यक्ति बिल नहीं है परन्तु उससे जो व्यक्ति टेलीफोन पर बात कर रहा है वह बिल है, और उससे अनुरोध किया कि न्याय के हित में वह उस व्यक्ति का पक्ष एक बार पुन: सुन ले जिसे उसने बंदी बनाया था, परन्तु इसके लिये उसे इंटरपोल की कार में छिपाकर कार्यालय बुलाना होगा, नहीं तो मार्ग में स्थानीय पुलिस द्वारा बंदी बनाये जाने की शंका है। ऐल्बर्ट राज़ी हो गया और इंटरपोल की कार में छिपकर मैं व बिल ऐल्बर्ट के कार्यालय पहुँच गये। हम दोनों को साथ-साथ देखकर ऐल्बर्ट भौंचक्का रह गया। उसे अविलम्ब आभास हुआ कि उससे कुछ ग़लती अवश्य हुई है। उसने दोनों के फ़िंगर-प्रिंट्स पुन: साथ-साथ लेकर कम्प्यूटर से मिलाये तो पूर्णत: एक से पाये। फिर उसने मेरी व बिल की आत्मकथाएँ ध्यान से सुनी और हमारे द्वारा बताये गये टेलीफोन नम्बर मिलाकर हम लोगों के पूर्व-चरित्र के बारे में जानकारी प्राप्त की। यह जानकर वह हैरत में पड़ गया कि हम दोनों में कोई भी वह जालसाज़ बिल नहीं प्रतीत हो रहा था; जिसकी इंटरपोल को तलाश थी, परन्तु उस बिल का चेहरा-मोहरा व फ़िंगर-प्रिंट्स हमसे हू-बहू मिलते थे। बिल ने ऐल्बर्ट को रोज़लिन बायो-टेक्नोलोजी इंस्टीच्यूट के स्वर्गीय प्रोफेसर फ्रेडरिक द्वारा चार रक्तबीज पैदा किये जाने का क्लेम किये जाने की बात भी बताई और स्वयं को वहीं के एक प्रोफेसर द्वारा पाला जाना बताया।
ऐल्बर्ट को विश्वास हो गया कि मैं व बिल एक ही व्यक्ति के रक्तबीज हैं और सम्भवत: हमारे जैसा कोई एक अन्य रक्तबीज इंटरनेशनल जालसाज़ भी है। उसने दूसरे दिन कोर्ट में मेरी गिरफ़्तारी पर अपनी भूल स्वीकारते हुए मेरे विरुद्ध अभियोग रद्द करने का प्रार्थना-पत्र दे दिया और मेरा पासपोर्ट भी वापस कर दिया। हम दोनों से केवल यह वचन लिया कि असली जालसाज़ की गिरफ़्तारी तक हम दोनों रक्तबीज होने का रहस्य अपने तक सीमित रखें और अन्य व्यक्तियों के सामने कभी साथ-साथ न देखे जावें। उसने अनुरोध किया कि फ़ियोना को भी यही हिदायत कर दी जावे अन्यथा इंटरपोल की जाँच में बाधा पड़ेगी। उसने हमसे यह वादा किया कि हमारे अन्य रक्तबीज भ्राताओं के विषय में ज्ञात होने पर वह हमें बतायेगा।
इसके बाद बिल और फ़ियोना ने मुझे ज़िद करके अपने साथ एक दिन और रोका और मुझे आशातीत प्रेम दिया। अपने न्यूयार्क स्थित कार्यालय को फोन कर मैंने एक दिन बाद वहाँ कार्य प्रारम्भ करने की अनुमति प्राप्त कर ली। मैंने भारत में अपने माता-पिता को भी तद्नुसार सूचित कर दिया, परन्तु अपने बंदी बनाये जाने व बिल का अपने रक्तबीज होने के विषय में कुछ नहीं बताया।
न्यूयार्क में मुझे सुपर कम्प्यूटर पर प्रशिक्षण दिया जाने लगा। मैंने अपने को इसके लिये भाग्यशाली समझा। मेरी इस कार्य में रुचि की सभी द्वारा प्रशंसा भी की जाने लगी। कभी-कभी मैं बिल से टेलीफोन पर अवश्य बात कर लेता था परन्तु ऐल्बर्ट ने लगभग तीन वर्ष तक मुझसे कोई सम्पर्क नहीं किया। इस बीच मुझे विभिन्न कान्फरेंसेज़ (सम्मेलनों) में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों, अत्याधुनिक प्रकार के परमाणु बम पर शोध करने वाले कम्प्यूटर विशेषज्ञों एवं इन्फ़र्मेशन सुपर-हाईवे पर कार्य करने वाले वैज्ञानिकों से विभिन्न विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान करने व एक-दूसरे से कुछ सीखने का अवसर मिला। मुझे इस सब में आंतरिक आनंद आता और मैं अपना ज्ञान एवं योग्यता को और अधिक बढ़ाने हेतु जुटा रहता।
तभी एक दिन न्यूयार्क से ऐल्बर्ट का टेलीफोन मेरे लिये आया और उसने रात को मेरे घर पर आकर मुझसे अकेले में वार्ता करने हेतु समय लिया। मेरे घर आने पर मैंने उसकी आँखों में प्रसन्नता की एक चमक देखी। औपचारिक वार्तालाप के उपरान्त उसने कहा, "मैंने इस बीच तुमसे सम्पर्क स्थापित नहीं किया था परन्तु मैं तुम पर निगाह रखे हुए था और आश्वस्त हो गया हूँ कि गोपनीयता रखने में तुम पर पूर्णत: विश्वास किया जा सकता है। तुम्हारी ही तरह बिल भी मेरी इस परीक्षा में खरा उतरा है। दूसरी बड़ी प्रसन्नता की बात यह है कि मैंने न केवल तुम चारों रक्तबीजों के एक साथ प्रोफेसर फ्रेडरिक द्वारा सृजित किये जाने की पुष्टि कर ली है वरन् शेष दोनों रक्तबीजों का पाता भी लगा लिया है।"
"प्रोफेसर फ्रेडरिक को रक्तबीज पैदा करने हेतु एक देश की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी ने गुप्त रूप से बहुत सा धन या था परन्तु उसने शर्त लगा दी थी कि उनका रक्तबीज सृजन पर कार्य करना एवं उसकी सफलता अथवा असफलता की बात पूर्णत: गुप्त रखी जावे। चारों रक्तबीज शिशु बन जाने पर इसी एजेंसी द्वारा तीन शिशु चुरा लिये गये थे जिससे रक्तबीजों के सृजन की बात कहीं ज्ञात न हो सके। शिशुओं की चोरी से बौखला कर जब प्रोफेसर फ्रेडरिक ने अपनी सफलता का रहस्य खोल दिया, तो उनकी स्विमिंग-पूल में हत्या कर दी गई। चोरी किये हुए तीनों शिशुओं को ग्लास्गो के निकट एक गुप्त स्थान पर पाला जा रहा था और जब वे शिशु चलने-फिरने व खेलने-कूदने लगे तो एक दिन उनमें से एक बालक चुपचाप घर से निकल कर मोटर-वे (राज-मार्ग) पर आ गया था। फिर वह बालक नहीं मिल पाया था। अब स्पष्ट हो गया है कि तुम वही बालक हो क्योंकि तुम्हारे ’मम्मी-पापा’ उन दिनों बरमिंघम विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। उन्हें ग्लास्गो-बरमिंघम मोटर-वे पर एक बालक मिला था जिसको किसी ने अपना बालक होने का दावा नहीं किया था और संतानहीन होने के कारण उन्होंने खुशी-खुशी उस बालक को गोद ले लिया था। तभी तुम्हारे ’पापा’ की भारत के एक आई.आई.टी. में एसोसियेट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हो जाने पर तुम्हारे ’मम्मी-पापा’ तुम्हें लेकर वहाँ चले गये थे। वहाँ उन्होंने तुम्हें अपनी संतान होना ही बताया था।"
इतना कहकर ऐल्बर्ट मेरे मनोभावों को पढ़ने हेतु मेरे चेहरे को देखने लगा और फिर मेरी उत्सुकता का आभास पा कर पुन: कहना प्रारम्भ कर दिया। ऐल्बर्ट मेज़ पर रखी व्हिस्की का एक घूँट लेने हेतु रुका और फिर बोला, "बाद में इस इंटेलीजेंस एजेंसी ने शेष दो बालकों को अलग-अलग रखकर पाले जाने का प्रबन्ध किया और उन्हें भविष्य में वांछित उपयोग हेतु अलग-अलग प्रकार का प्रशिक्षण दिया गया। इनमें से एक को अत्याधुनिक परमाणु बमों के निर्माण और इस हेतु सुपर कम्प्यूटर के उपयोग की शिक्षा दी गई। प्रशिक्षणोपरान्त उसे एक गुप्त न्यूक्लिर शोध संस्थान में नियुक्त करा दिया गया। इसे ऐसे संस्कार दिलाये गये कि मानवीय सम्वेदनाओं से रहित सा यह रक्तबीज एजेंसी के एक सम्पर्क-सूत्र द्वारा प्रदत्त धन एवं अनन्य सुविधायें भोगता रहे परन्तु उसके द्वारा दिये गये निर्देशों को ब्रह्म वाक्य मानकर गुप्त रूप से तद्नुसार कार्य करता रहे। मुझे शंका है कि इस रक्तबीज द्वारा ऐसे विनाशकारी बम्ब बनाये जा रहे हैं जो एक विस्फोट में ही समूचे शत्रु देश का सर्वनाश करने में सक्षम हों।"
ऐल्बर्ट ने पुन: रुक कर मेरे चेहरे पर अपने द्वारा बताई बात की प्रतिक्रिया जैसे अक्षरश: पढ़ ली और तब आगे बोलना प्रारम्भ किया, "मेरे मस्तिष्क में इस मानव विनाश को रोकने हेतु एक योजना है जिसे केवल तुम्हारे द्वारा ही कार्यान्वित किया जा सकता है। परन्तु यह कार्य न केवल अत्यन्त दुरूह है वरन् ख़तरे से भरा हुआ भी है। तुम सोचकर बताओ कि क्या तुम इसके लिये तैयार हो।"
मेरे हामी भरने पर उसने कहा, "मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी कम्पनी से दो-तीन महीने की छुट्टी लो, फिर मैं किसी तरह इस तीसरे रक्तबीज का अपहरण करवा कर और तुम्हें उसके नाम का आइडेंटिटी कार्ड उपलब्ध कराके उसके न्यूक्लियर शोध संस्थान में उसके स्थान पर कार्य करने हेतु प्रवेश करा दूँगा। वहाँ तुम्हारा कार्य सभी कम्प्यूटरर्स की हार्ड-डिस्क एवं फ्लापी पर उपलब्ध उन सूत्रों को मिटा देना होगा जिसकी सहायता से महाविनाशकारी बम्ब बनाने का कार्य प्रगति पर है।"
मैंने बिना किसी हिचक के अपनी सहमति दे दी। तब उसने कहा कि मुझे छुट्टी कब लेनी चाहिये, यह बात वह मुझे अन्य व्यवस्था हो जाने के उपरान्त लगभग एक माह बाद बतायेगा।
- क्रमशः