नए अंदाज़ का मेरे सब एहतिराम

15-09-2023

नए अंदाज़ का मेरे सब एहतिराम

ललित मोहन जोशी (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

नए अंदाज़ का मेरे सब एहतिराम करते हैं
लोग अब मुझसे साझा अपना ग़म करते हैं
 
और जो अलग सी सदाएँ है इस फिज़ा में
अब उन को भी सुन लिया हम करते हैं
 
ख़ुदा ने मुझको एक नए हुनर से नावाज़ा है
मेरे साथ अब फ़रिश्ते भी कलाम करते हैं
 
ये परिंदे भी अब इंसान की फ़ितरत जैसे हैं
सुबह को दाना चुगकर मेरी छत छोड़ देते हैं
 
और फिर किसी दूसरे छत पर चले जाते हैं वो
पर भरी धूप में मेरी खिड़की पर क़याम करते हैं
 
एहतिराम=आदर, इज़्ज़त, सम्मान, सादर-सतकार; क़याम=ठहरना, ठिकाना

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