मेरी नज़रें अब उसको परखना चाहती है

15-10-2023

मेरी नज़रें अब उसको परखना चाहती है

ललित मोहन जोशी (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

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फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
 
मेरी नज़रें अब उसको परखना चाहती हैं
यानी मुझ पे जां वो छिड़कना चाहती है
 
वो कहती ये शृंगार अधूरा है बिन तुम
सो करके शादी वो और निखरना चाहती है
 
ये नज़रें मेरी उस पर अब रुक सी गयी हैं
सो अब सीने में वो मेरे धड़कना चाहती है
 
ख़ातिर मिलने की वो ख़ूब दुआएँ करती है
यानी मुझसे मिलकर वो लिपटना चाहती है
 
अपने माज़ी से डरकर वो सहम जाती है
शायद अपने ग़मों से वो उभरना चाहती है

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