करूँगी बातें तुमसे

01-06-2025

करूँगी बातें तुमसे

डॉ. पल्लवी सिंह ‘अनुमेहा’ (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

तुमसे—
किसी दिन ख़ाली समय में
करूँगी बातें तुमसे . . . 
जब पश्चिममांचल का सूर्य
अपनी लोहित अरुणिमा से
गोधूलि बेला के कपोलों को
नहलायेगा . . . 
जब मिलाप की बेला के
कोने-कोने . . . 
हमारे प्रेम रंग से भीग जायेंगे
तब मैं ख़ाली समय में
करूँगी बातें तुमसे . . .। 
 
जब मेरे अक्षर-शब्द भाव
तुम्हारी कल्पनाओं में आ
जायेंगे . . . 
जब मेरा नारीत्व
तुम्हारे पौरुषत्व में समा
जायेगा . . .। 
तब किसी दिन ख़ाली समय में
करूँगी बातें तुमसे . . .। 
 
अभी न थोड़ी-सी प्रतीक्षा बाक़ी है
अभी न तुम्हारे अंदर अभिमान की
पैनीधार बाक़ी है . . . 
इसलिए
फिर किसी दिन ख़ाली समय में
करूँगी बातें तुमसे . . . 
जब न तुम्हारे चिंतन में नारीत्व के
उस निरूपण का सृजन हो
जिसमें मैं रहूँ, मेरे अस्तित्व की
शैली रहे . . .
जिसमें न मेरा मूल्यांकन हो
सीता के नारीत्व की तरह
न विरोध हो तुम्हें, मेरे विरोध से
जिसमें न किसी तरह की
आपत्ति हो तुम्हें . . .
 
मेरे ख़्वाबों के विस्तार से
उस दिन ख़ाली समय में
करूँगी बातें तुमसे . . .! 

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