कमाल कोरोना का
नीरजा द्विवेदी(नारायण! नारायण! कहते खड़ताल बजाते देवर्षि नारद क्षीरसागर में शेषशायी, निद्रानिमग्न विष्णु भगवान के विष्णुलोक में पहुँचकर माता लक्ष्मी के चरणों में नमन करते हैं)
लक्ष्मी जी -
देवर्षि आज आप इधर कैसे पधारे? कोई ख़ास प्रयोजन है क्या?
देवर्षि नारद -
माता! पूरे ब्रह्मांड में कोरोना का ख़ौफ़ छाया है। इस बार भगवान शिव शंकर ने सृष्टि के विनाश का कौन सा स्वांग रचा है?
लक्ष्मी जी -
देवर्षि आप ये कैसे कह रहे हैं कि विनाश के लिये ये स्वांग रचा गया है?
देवर्षि नारद -
माता! आप इतनी भोली तो नहीं हैं, आप सब जानती हैं- चीन, इटली, स्पेन से लेकर अमरीका ही नहीं सब देशों में कोरोना का आतंक है। जितना लोग मर नहीं रहे हैं उससे ज़्यादा इस रोग से प्रभावित होकर त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।
लक्ष्मी जी -
(मुस्कराते हुए)
ये भोलेनाथ का क़हर नहीं है। ये तो भगवान विष्णु का क्रिया-कलाप है।
(नारद जी ने देखा कि इन दोनों के वार्तालाप को सुनकर भगवान विष्णु जग गये हैं और मंद-मंद मुस्करा रहे हैं। देवर्षि नारद भगवान की चरण वंदना करते हैं और प्रश्नवाचक दृष्टि से दोनों की ओर देखते हैं)
लक्ष्मी जी -
देवर्षि ये सच है कि शिव शंकर पृथ्वी के विनाश के लिये वातावरण सृजन कर रहे हैं। वह ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा पर्यावरण की उथल-पुथल करके सृष्टि के विनाश के संकेत दे रहे हैं पर कोरोना वायरस का इससे कोई लेना- देना नहीं है।
देवर्षि नारद -
माता ये आप क्या कह रही हैं?
(दोनों हाथ जोड़ कर)
भगवन! आप ही बताइये कि माजरा क्या है?
भगवान विष्णु -
(हँसकर बोले)
देवर्षि! कुछ समय पूर्व देवराज इंद्र मेरे पास आये थे। वह भारतीय संस्कृति के ह्रास को देख कर बहुत चिंतित थे। कहने लगे -
“भारत में हिंदू संस्कृति का विनाश निश्चित है। एक ओर ईसाई लोग ग़रीब लोगों की सहायता करके और धन का लालच देकर हिंदुओं को ईसाई बना रहे हैं एवं मुसलमान लवजिहाद या आतंकी घटनाओं के द्वारा हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। दूसरी ओर हिंदुओं का एक वर्ग स्वयं को बौद्ध कहकर अपने को अलग मानता है। इसके अतिरिक्त पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित युवा नास्तिक का चोला पहन कर हिंदुत्व की खिल्ली उड़ा रहे हैं। हमारे देखते-देखते सनातन धर्म रसातल में चला जायेगा और हमें यज्ञ करके शक्ति प्रदान करने वाले लोग समाप्त हो जायेंगे। देव संस्कृति की जगह रक्ष संस्कृति का प्रचार होगा। प्रभु! आप जागिये, कुछ कीजिये।”
देवराज की व्याकुलता देखकर मुझे दया आ गई। मैंने ध्यान से देखा तो पाया कि चीन में लोग हर प्रकार के जानवर काटकर खाते हैं और उससे गंदगी फैलती है। मैंने उनकी लैब में एक ऐसे वायरस को डाल दिया जिसे वे तुरंत नहीं समझ पाये। जब वह बढ़ने लगा तो शुरू में उन्होंने छिपाने की कोशिश की। अब जब वह वायरस बेक़ाबू हो गया और लोग धड़ाधड़ मरने लगे तो हाहाकार मच गया। एक-एक करके सारे देश प्रभावित हो रहे हैं।
(कह कर विष्णु भगवान चुप हो गये)
देवर्षि नारद -
प्रभु! मुझे कुछ समझ में नहीं आया। इसके द्वारा भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार कैसे होगा?
लक्ष्मी जी -
देवर्षि! लगता है आपने अपने ज्ञानचक्षु बंद कर लिये हैं और दुनिया के समाचार जानने का प्रयत्न नहीं करते।
देवर्षि नारद -
माता! ये आप क्या कह रही हैं? मैं तो कोरोना वायरस के आतंक का समाचार सुनाने भागा-भागा यहाँ आया हूँ।
लक्ष्मी जी -
देखिये देवर्षि भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रारम्भ हो गया है।
देवर्षि नारद -
(उतावली से)
आप मुझे बताइये कैसे...?
लक्ष्मी जी -
क्या आपने सुना नहीं कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने सबको हाथ मिलाने या गले मिलने की मनाही कर दी है। सबको भारतीयों की तरह नमस्ते करने की सलाह दी है। अमेरिका में टौयलेट पेपर की आपूर्ति की कमी के कारण शौच के लिये पानी का प्रयोग करना आवश्यक हो गया है। साबुन की कमी को भारतीयों की पुरानी मिट्टी से हाथ धोने की पद्धति को अपना कर दूर किया जा रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी-ज़िंनफ़िंग ने मृतकों के अंतिम संस्कार के लिये भारतीय पद्धति के अनुसार दाह संस्कार विधि अपनाने की सलाह दी है। चिकित्सा के लिये भारतीय आयुर्वेदिक दवाइयों की मान्यता बढ़ रही है। लोगों को हल्दी, अदरक, तुलसी, गिलोय, मकोय, गुर्च, लहसुन के प्रयोग की सलाह दी जा रही है। योग गुरु रामदेव ने योग को पहले ही समस्त विश्व में महत्ता दिला दी है। यज्ञ द्वारा पर्यावरण शुद्ध करने की बात भी शीघ्र सबको समझ में आ जायेगी।
भगवान विष्णु -
देवर्षि आप कोरोना का कमाल देखते जाइये। एक-एक करके समस्त विश्व में भारतीय संस्कृति का डंका बजेगा।
देवर्षि नारद –
जय हो प्रभु। जय हो माता। जय हो कोरोना!
(कहते देवर्षि नारद हाथ जोड़ कर विश्व भ्रमण के लिये निकल पड़े)
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