जूही और ललमुनियाँ
नीरजा द्विवेदीजूही एक प्यारी सी छोटी सी बच्ची थी। उसके मम्मी-पापा काम करने बाहर चले जाते तो वह घर में अकेली रह जाती। अभी वह स्कूल नहीं जाती थी। उसके कोई भाई, बहिन या दोस्त भी नहीं थे। बूढ़ी नौकरानी काम करती या सोती रहती। जूही बिचारी खिलौनों से खेल कर ऊब जाती तो उसे समझ न आता कि क्या करे? एक दिन उसने देखा कि एक काली बिल्ली अमरूद के पेड़ पर बैठी चिड़िया को पकड़ने की ताक में पेड़ पर चढ़ रही है। कई चिड़ियाँ डर कर एक डाल से दूसरी डाल पर कूदती, फड़फड़ा रही थीं और चिल्ला रही थीं। जूही डंडा लेकर बाहर गई पर तब तक बिल्ली ने पंजा मारकर चिड़ियों का घोंसला नीचे गिरा दिया। ग़नीमत यह थी कि अभी उसमें अंडे या बच्चे नहीं थे। जूही ने घोंसला उठाकर पेड़ की एक सुरक्षित डाल पर रख दिया।
अब जूही ने ध्यान से चिड़ियों को देखा। वे बिल्कुल छोटी-छोटी लाल, सफ़ेद चिड़ियाँ थीं जिनकी चोंच लम्बी थी। उनका शरीर तो मुश्किल से दो इंच का था परन्तु उनकी पीली पूँछ उनसे दुगनी लम्बी और ऊपर को उठी हुई थी। सफ़ेद पंख छोटे-छोटे थे और ये चिड़ियाँ इतनी फुर्तीली थीं कि अपनी गर्दन, पंख और पूँछ को बड़ी तेज़ी से हिलाती रहती थीं। चिड़ियों ने उसे बिल्ली को मार कर भगाते और उनका घोंसला ऊपर रखते देखा था तो वे समझ गईं कि जूही से उन्हें ख़तरा नहीं है। जूही को भी चिड़ियाँ बड़ी अच्छी लगीं। उसने सोचा कि मैं इन चिड़ियों से दोस्ती कर लेती हूँ।
जूही की मम्मी ने चिड़ियों का नाम ललमुनियाँ बताया। जूही ने अपनी मम्मी से चिड़ियों के लिये थोड़ा दाना और दो कटोरियाँ ले लीं। उसने एक कटोरी में पानी और दूसरी कटोरी में दाना रख दिया। शुरू में तो चिड़ियाँ डरते-डरते नीचे आईं पर बाद में समझ गईं तो नीचे आकर खाने-पीने लगीं। काली बिल्ली शिकार करने की ताक में रहती थी पर जूही ध्यान रखती और उसे भगा देती। चिड़ियाँ उसे अपना दोस्त समझने लगीं। एक चिड़िया तो उसके हाथ पर आकर बैठ जाती। अब जूही बहुत प्रसन्न रहती थी। उसने देखा कि चिड़िया ने अपना नया घोंसला बनाना शुरू किया है। उसने देखा कि इस समय नौ-दस नई चिड़ियाँ वहाँ आ गई थीं। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वे नन्हीं-नन्हीं चिड़ियाँ अपनी चोंच में फूलों और घास के तिनके लेकर आती हैं। सबने मिलकर नया घोंसला तैयार करा दिया था। दो चिड़ियाँ अपने घोंसले में बैठ गईं और बाक़ी चिड़ियाँ वापस चली गईं।
इतनी छोटी चिड़िया अपना घोंसला इतनी जल्दी अकेले नहीं बना सकती थी। उसका घोंसला बिल्ली ने तोड़ दिया था इस कारण सबने मिलकर उसके लिये नया घोंसला बनवा दिया। इस घटना से जूही को समझ में आया कि एकता में कितना बल होता है?
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