कैसे कोई गीत सुनाये

15-01-2022

कैसे कोई गीत सुनाये

आशीष तिवारी निर्मल (अंक: 197, जनवरी द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

कितने साथी छूट गए
सब रिश्ते नाते टूट गए
पल-पल मरती आशाएँ 
जब अपने ही लगें पराये
कैसे कोई गीत सुनाये? 
 
बचपन बीता अठखेली में 
यौवन बीता रँगरेली में
भूले सब वह जो करना था
खोये रहे एक पहेली में
समय चक्र आगे निकला
संग आने की टेर लगाये
कैसे कोई गीत सुनाये? 
 
नित नई आती बाधा में 
सफ़र हद से ज़्यादा में
अंतर भी न समझे सके
रुक्मणी और राधा में 
रोज़ द्रौपदी लुटती है
कान्हा कितनी चीर बढ़ाए
कैसे कोई गीत सुनाये? 
 
तजे प्राण राजा दशरथ ने 
आँसू नहीं हैं कौशल्या में। 
जातिवाद के हो-हल्ला में
झगड़ा है गली मुहल्ला में। 
इस युग में राम के जूठे बेर 
कहाँ किस शबरी ने खाये
कैसे कोई गीत सुनाये? 
 
शून्य हुईं सब अभिलाषाएँ 
नर्तन करती मृत्यु निशाएँ 
अपने-अपने में यूँ खोए हैं
कौन सुने किसकी आहें 
हो यदि मुफ़्लिस की बेटी
उसकी डोली कौन उठाए
कैसे कोई गीत सुनाये? 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

नज़्म
पुस्तक समीक्षा
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता
गीत-नवगीत
वृत्तांत
ग़ज़ल
गीतिका
लघुकथा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में