हे नववर्ष

01-01-2022

हे नववर्ष

आशीष तिवारी निर्मल (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

हे नववर्ष! 
तुम भी दग़ा न करना
 
आओ हे नववर्ष! तुम हमसे कोई दग़ा न करना 
बीते जैसे साल पुराने वैसी कोई ख़ता न करना।
 
पहले के ज़ख्म़ों से ही चाक शहर का सीना है
नये साल में दर्द मिलें किसी को ख़ुदा न करना।
 
मेरी इल्तज़ा तुझसे बस इतनी है हे नववर्ष
अपनों को यूँ अपनो से तुम ज़ुदा न करना।
 
संकट के इस दौर में तू पूरे मन से पूजा जाएगा 
फ़रिश्ता साबित होगा, किसी का बुरा न करना।
 
संकट से जूझ रहे हैं सब, विषाद से गहरा नाता है
ऐसे में आकर के शेष जीवन बे-मज़ा न करना।
 
सबका हो सुनहरा आने वाला हर एक पल
किसी के लिए कोई भी बुरी बद्दुआ न करना ।

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