उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते
अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’22 122 22 222 1222 212
उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते
वो भी कभी यूँ मेरे क़स्बे से गुज़रते तो देखते
बस दीद की उनकी ख़ाहिश लेकर भटकता हूँ शहर में
लेकिन कभी तो वह भी राह गली में दिखते तो देखते
केवल बहाना है यह मेरा चाय पीना उस चौक पे
सौदा-सुलफ़ लेने वह भी घर से निकलते तो देखते
हर रोज़ उनको बिन देखे ही लौट आने के बाद मैं
अफ़सोस करता हूँ कि थोड़ा और ठहरते तो देखते
मैं बा-अदब ठहरा था जब गुज़रे थे वो मेरे पास से
ऐ 'अर्श' उस दिन ही गर आँखें चार करते तो देखते
17 टिप्पणियाँ
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20 Oct, 2021 11:17 PM
Khubsurat Ghazal
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30 Aug, 2021 02:03 PM
kya baat gajab
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25 Aug, 2021 03:57 PM
खूबसूरत ग़ज़ल
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1 Jul, 2021 03:21 AM
ख़ूबसूरत शायरियां जी
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26 Jun, 2021 04:59 AM
सुन्दरम
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24 Jun, 2021 01:39 AM
Kya kahne bas waah
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23 Jun, 2021 08:30 PM
शानदार ग़ज़ल वाह जनाब
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22 Jun, 2021 12:01 PM
Bahut hi khub ghazal mahoday.. namaskar
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17 Jun, 2021 05:13 PM
शानदार गजल सर
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15 Jun, 2021 10:59 PM
कमाल की ग़ज़ल सर
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15 Jun, 2021 09:36 PM
Touching poetry
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15 Jun, 2021 09:23 PM
Nice shayari
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15 Jun, 2021 01:33 PM
umdaa ghazal bhai sahab bahut khub
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15 Jun, 2021 02:04 AM
Lovely, nice gajal
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14 Jun, 2021 09:19 PM
कमाल की ग़ज़ल जनाब
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14 Jun, 2021 11:45 AM
Wonderful..
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14 Jun, 2021 02:14 AM
वाह वाह बहुत खूब ग़ज़ल कही है आपने वाह
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