सच्ची मोहब्बत
ललित मोहन जोशी
एक बात का ज़िक्र तुमसे मैं करता हूँ
जिसे मोहब्बत कहते हैं उसे बताता हूँ
ये ज़रूरी नहीं कि मैं सही ही सोचता हूँ
पर अपना विचार रखने का हक़ रखता हूँ
जिसके होने से ना अकेला पन रहे
जिसके होने से हर मुश्किल आसान रहे
जिसके होने से हर दिन जिया-सा लगे
मोहब्बत का सुकून हर सुख से बड़ा लगे
सच्ची मोहब्बत में हर जंग जीती जाती है
बुरे वक़्त को भी मुँह की खानी होती है
मोहब्बत कमज़ोरी नहीं बनती है यार
वो एक दूसरे को जीने सलीक़ा सिखाती है
अँधेरे से लड़ने की हिम्मत अता करती है
ख़ुदा के क़रीब जाने का तरीक़ा बताती है
सच्ची मोहब्बत बस सच्ची होती है
उससे झूठी शान कोसों दूर रहा करती है
1 टिप्पणियाँ
-
बेहद उम्दा बेहतरीन