उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते

15-06-2021

उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते

अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’ (अंक: 183, जून द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

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उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते
वो भी कभी यूँ मेरे क़स्बे से गुज़रते तो देखते
 
बस दीद की उनकी ख़ाहिश लेकर भटकता हूँ शहर में
लेकिन कभी तो वह भी राह गली में दिखते तो देखते
 
केवल बहाना है यह मेरा चाय पीना उस चौक पे
सौदा-सुलफ़ लेने वह भी घर से निकलते तो देखते
 
हर रोज़ उनको बिन देखे ही लौट आने के बाद मैं
अफ़सोस करता हूँ कि थोड़ा और ठहरते तो देखते
 
मैं बा-अदब ठहरा था जब गुज़रे थे वो मेरे पास से
ऐ 'अर्श' उस दिन ही गर आँखें चार करते तो देखते

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