रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू’ – 001

15-04-2021

रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू’ – 001

रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू' (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

1.
शाम ने ढूँढ़े
गीत गौरैया के भी
हो गये गूँगे
 
2.
ताकते गाँव
शहर रास्ता देखे
कहाँ है छाँव
 
3.
रवि-चुम्बन 
पा लहर का मन 
करे स्पंदन
 
4.
खोलती हवा
झील-वधू का जूड़ा
बिखरी लटें
 
5.
रात के क़िस्से
छेड़े चाँद सिन्धु को
सोने  नहीं दे
 
6.
उगा सूरज
धरा-क्यारी में खिले
रश्मि-सुमन
 
7.
दूर्वा आसन्न
गाती हरित गीत
धरा प्रसन्न
 
8.
अद्भुत रूप
भू-आँचल में टँकी
मोती सी दूब
 
9.
वसंत ऋतु
पहन पीत वस्त्र
सज गयी भू
 
10.
उन्मुक्त पाखी
देखे स्वर्णिम नभ
भू-दूर्वा-झाँकी
 
11.
शीतल छाँव
ज़िंदगी जिला देता
प्रीत का गाँव
 
12.
यादों से छुट्टी
मिले इतवार तो
सुस्ता लूँ ज़रा

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