अच्छा लगा
आशीष तिवारी निर्मलतेरा ज़िंदगी में आना, अच्छा लगा
हँसना, रूठना, मनाना,अच्छा लगा।
ज़रा ज़रा सी बातों पर तुनक कर
तेरा मुँह को फुलाना, अच्छा लगा।
महफ़िल में या यूँ ही अकेले कहीं
तेरा गले से लगाना, अच्छा लगा।
सौंपकर मुझको ख़िशियाँ अनमोल
तेरा यूँ नख़रे दिखाना अच्छा लगा।
तुझ पे लिखी हैं जितनी भी नज़्में
तेरा उनको गुनगुनाना अच्छा लगा।
वहशी तरीक़े तुम टूटती हो मुझ पर
मुझे सितमगर बताना अच्छा लगा।