विशेषांक: फीजी का हिन्दी साहित्य

20 Dec, 2020

तुझे छोड़ के हम कहीं नहीं जाएँगे

कविता | मौहम्मद यूसुफ़

मेरे वतन फीजी! तुझे छोड़ के हम कहीं नहीं जाएँगे
यही रहेंगे हम तेरे पास और तुझे दुनिया का स्वर्ग बनाएँगे
दुनिया के नक्शे पर तू छोटा सा एक सितारा है
नाज़ है हमको कि तू प्यारा फीजी देश हमारा है
जब तक ऐ मेरे वतन हमारे सिर पर तेरा आशीष रहेगा
चाहें कितने बड़े ही झमेले हों
हम खुशी-खुशी झेल जाएँगे!
ऐ मेरे वतन फीजी! तुझे छोड़ के हम  कहीं नहीं जाएँगे
तू हमारी मातृभूमि है तुझसे मिला हर पल बहुत सारा प्यार 
तेरी आँचल की छाया में समाया मेरा छोटा सा यह संसार
कसम तेरे पाक आँचल की उसमें कोई दाग लगने नहीं देंगे
कुर्बान हो जाएँगे ऐ मेरे वतन!
फीजी तुझे छोड़ के हम  कहीं नहीं जाएँगे
जुड़े हैं पूर्वजों के बलिदान तुझसे, उसे हम कैसे भुला दें
जो अधिकार मिला इस वतन में उसे हम कैसे गवाँ दें
यहीं पर पैदा हुए, बड़े हुए, मरेंगे भी यहीं पर
तू धरती माँ है तुझसे, कैसे हम यूँ बिछड़ जाएँगे!
ऐ मेरे वतन फीजी! तुझे छोड़ के हम  कहीं नहीं जाएँगे
कोई मुसीबत आएगी तुझ पर उसका सामना हम मिलकर करेंगे
बाढ़, आँधी, तूफ़ान के थपेड़ों को साथ मिलकर हम सहेंगे
कोई दुश्मन जो बुरी नज़र तुझपर डालेगा
कसम खु़दा की अपनी जान देकर, हम तेरी इज़्ज़्त बचाएँगे
ऐ मेरे वतन फीजी, तुझे छोड़ के हम कहीं नहीं जाएँगे
अमन चैन है देश में अब कोई नहीं है अकेला यहाँ 
प्यार से मिलते हैं सब लगता है जब भी मेला यहाँ
तेरी नैया पार लगाने वाला है माननीय बाइनामारामा नेता हमारा
उन्हें अपना सहयोग देकर तेरी नैया को डूबने से हम बचाएँगे
ऐ मेरे वतन फीजी! तुझे छोड़ के हम कहीं नहीं जाएँगे!
‘तानवा’ (Tanoa) किनारे बैठकर हम आसमान में चाँद सितारे निहारेंगे
‘नोबल बेना बुलू (Noble Banner Blue)’ राष्ट्रीय गीत हम गुनगुनाएँगे 
तान कर सीना तेरा राष्ट्रीय ध्वज हम विश्व में लहराएँगे
ऐ मेरे वतन फीजी, तुझे छोड़ के हम कहीं नहीं जाएँगे!
यही रहेंगे हम तेरे पास और तुझे दुनिया का स्वर्ग बनाएँगे॥

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