विशेषांक: फीजी का हिन्दी साहित्य

20 Dec, 2020

ये दीवाली वो दीवाली

कविता | खमेन्द्रा कमल कुमार

क्या याद है तुम्हें
अपनी वो दीवाली
उस गाँव के
छोटे से घर पर
अब तो
कई साल बीत गए हैं
छूट गया गाँव
टूट गया वो घर
हमारी दीवाली के बीच
आमावस आ गई है
हर दीवाली के दरमियां
वनवास आ गया है
अब हम 
हम न रहे
अब तुम 
तुम न रहे
तेरे मेरे बीच से
दीवाली
अजनबी हो चली है
ये दीवाली
वो दीवाली
न रही॥

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