विशेषांक: फीजी का हिन्दी साहित्य

20 Dec, 2020

कुछ अनकही बातें 

कविता | सुएता दत्त चौधरी

कुछ पल होते हैं तन्हाई के
मायूस मन फड़फड़ाता है 
भीड़ में 
कोई चिठ्ठी है बंद बोतल में 
जिसे कोई नहीं मिला  
बीच सागर में 
ऐ मन! ज़रा सुनो 
ज़िन्दगी एक स्वर्ण किताब है 
ज़रा पढ़ कर तो देखो 
कुछ दर्द हलके होंगे 
मीठे पलों को चख कर तो देखो 
दिल की हर धड़कन इक तार है 
उसे मीठे मुस्कान से सिल कर तो देखो 
कभी आँखों के नमी को 
नीले बूंदों से मिला कर देखो 
हर बार एक नई कहानी मिलेगी 
कभी सागर की लहरों से 
मिल कर तो देखो 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

इस विशेषांक में
बात-चीत
साहित्यिक आलेख
कविता
शोध निबन्ध
पुस्तक चर्चा
पुस्तक समीक्षा
स्मृति लेख
ऐतिहासिक
कहानी
लघुकथा
ऑडिओ
विडिओ