तुम आए
डॉ. कविता भट्टतुम आए स्वप्न जैसे
इससे पहले कि यक़ीं होता
दुनिया की हक़ीक़त ने
नींद से जगा दिया
और मैं कभी तुम्हें खोज रही थी
कभी देख रही थी- दीवारें।
तुम आए स्वप्न जैसे
इससे पहले कि यक़ीं होता
दुनिया की हक़ीक़त ने
नींद से जगा दिया
और मैं कभी तुम्हें खोज रही थी
कभी देख रही थी- दीवारें।