शहरीकरण
धर्मपाल महेंद्र जैन
बोतल में भरा है झरने का स्वच्छतम पानी
पॉलिथीन बैग में भरा है गाय का शुद्धतम दूध
टेट्रापैक में भरा है ख़ालिस नागपुरी संतरों का रस
डुगडुगी बजाने की ज़रूरत नहीं है।
भीड़ है लोगों की जादुई तावीज़ और
सेहतमंद चीज़ें ख़रीदने के लिए।
आख़िर जान है तो जहान है।
गंगाजल की शीशियाँ भरी हैं
इत्र की ख़ुशबू के साथ
हल्दी के कैप्सूल
दंत कांति को पीला नहीं पड़ने देते
लहसुन का अर्क ख़रीदना आसान है अब
एनर्जी बार पर्याप्त है
पौष्टिक खाने की जगह।
आधुनिक बन कर
ज़िंदगी शान से जीने के लिए
बाज़ार भरे पड़े हैं।
वे धड़ाधड़ नीतियाँ बनाने में लगे हैं
लोगों की क़तारें लगी हैं
योजनाओं के गठ्ठर उठा
बाज़ार में पहुँचाने को।
बाज़ार की रोशनी में
शहर नहा गया है
टिमटिमाते पीले बल्ब
धुँधलाने लगे हैं पास के गाँवों में।