सविता अग्रवाल ‘सवि’ - सेदोका - 001
सविता अग्रवाल ‘सवि’
1.
केसरी धूप
जलाशय नारंगी
क्षितिज पर सूर्य
खड़ा डूबने
संध्या का आगमन
केसरिया चमन।
2.
पुत्र हमारा
शत्रु को ललकारा
मृत्यु तक न हारा
देश का प्यारा
बलिदान सहारा
चमकता वो तारा।
3.
चिर नवीन
शान्ति के देवदूत
काता प्रकाश सूत
पूर्ण इकाई
अहिंसा के पुजारी
मनुजत्व सपूत।
4.
दिशा भरम
भटक गए हम
नापते हैं दूरियाँ
पाने-मंज़िल
मिलती ना डगर
लंबा है ये सफ़र।
5.
पथ भटका
बर्फ़ से ढकी राहें
मंज़िल कैसे पाएँ?
चीखती हवा
पागल बन-भागे
ढूँढ़ रही सुकून।
6.
अश्रु टपके
नयनों से बिछड़े
कपोलों पे अटके
हाथ ने छुए
संवेदना में ढले
अहसासों में बसे।
1 टिप्पणियाँ
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अश्रु टपके.., वाह! बेहतरीन सेदोका, सुंदर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई सविता जी।