फोनमन्यु

डॉ. नीरू भट्ट (अंक: 231, जून द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

क्या फ़र्क़ पढ़ता है
सुभद्रा के सोने जागने से? 
क्यूँकि . . . 
यहाँ कोई अर्जुन, सुभद्रा को सुना नहीं रहा
सुभद्रा स्वयं सुन रही है, 
जाने अनजाने
सीख रही है और सिखा रही है, 
अजन्मे शिशु को
अपनी सुविधानुसार। 
 
दुनियादारी समझने से पहले ही
वह सब सीख चुका है
उँगलियों की जादूगरी
लाईक, कमेंट, शेयर और ब्लॉक का खेल। 
फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, वहटसेप, यूट्यूब . . . 
उसकी धमनियों में बह रहा है
रक्त के साथ साथ
या यूँ कहो कि
उसके गुणसूत्र में समाहित हो गया है।  
 
वह रणभूमि का नहीं तकनीकी का धुरंधर है। 
वह युगप्रवर्तक, युग प्रणेता
क्या आज का अभिमन्यु है? 
अभिमन्यु?? 
न न फोनमन्यु
वह फोनमन्यु है! 

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