नर या नरेतर

15-04-2025

नर या नरेतर

डॉ. नीरू भट्ट (अंक: 275, अप्रैल द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

वह चीख रही थी
पुकार रही थी
छटपटा रही थी
भय से! 
 क्रोध से! 
पीड़ा से! 
तुम भी तो
चीख रहे थे
चिल्ला रहे थे
मचल रहे थे
पौरुष से! 
बल से! 
मद से! 
उसका भय तुम्हारा सुख था? 
उसका क्रोध तुम्हारी ख़ुशी थी? 
उसकी पीड़ा तुम्हारी संतुष्टि थी? 
बस इतना बता दो
तुम नर हो या नरेतर? 

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