कृत्रिम वार्ता—एआई मेरे भाई
डॉ. मुकेश गर्ग ‘असीमित’एक गणेश महोत्सव के पंडाल में उपस्थित था। धार्मिक लेकिन रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था। एक लोकल न्यूज़ चैनल के प्रवक्ता अपने साइड बिज़नेस एंकरिंग का काम कर रहे थे। महाशय द्वारा गला फाड़-फाड़ कर कुछ प्रश्न पूछे जा रहे थे। हमारी श्रीमतीजी ने व्हाट्सएप का मेटा एआई खोल रखा था। आजकल व्हाट्सएप में ये नया फ़ीचर आया है। एआई ने तकनीक के हर क्षेत्र में अपने पैर पसार लिए हैं। आदमी की सोचने-समझने और सूझ-बूझ की शक्ति को नेस्तनाबूद करने की तैयारियाँ युद्ध स्तर पर हैं, इसमें कोई संदेह नहीं। ख़ैर, प्रश्न पूछा जा रहा था कि अघोरियों की मृत्यु पर उन्हें किस रीति-रिवाज़ से अंतिम संस्कार किया जाता है। एआई बड़े आत्मविश्वास से जवाब दे रहा था कि उन्हें क़ब्रिस्तान में दफ़नाया जाता है। श्रीमतीजी ने मुझसे पुष्टि करने को कहा। मैंने कहा, “मुझे मालूम नहीं।” हालाँकि तब तक एंकर महोदय ने इसका जवाब दे दिया था। जवाब क्या था, इस बारे में विस्तार से बताने की ज़रूरत नहीं है; आप अघोरियों के बारे में गूगल बाबा से भी पूछेंगे तो जवाब आ जाएगा। लेकिन एक प्रश्न मेरे ज़ेहन में उभरा, “चलो, इस एआई की थाह लेते हैं। कुछ उल्टे-सीधे सवाल पूछते हैं इससे।”
हमारा पहला प्रश्न: “ये इमोशन क्या होते हैं?”
एआई: “इमोशन? हाँ, क्षमा करें, मेरे डेटाबेस में ‘इमोशन’ शब्द है, ये कुछ हद तक लूज़-मोशन, स्लो-मोशन जैसे शब्दों से मेल खाता है। क्या आप इनमें से किसी के बारे में कुछ जानना चाहेंगे?”
मैं: “नहीं, इमोशन्स, मैं भावना की बात कर रहा हूँ, जैसे दिल टूट जाने पर क्या महसूस होता है?”
एआई: “आप भावना के बारे में जानना चाहते हैं या दिल टूटने के बारे में? कृपया स्पष्ट करें।”
मैं सोच रहा था कि अगर इससे भावना के बारे में पूछूँगा, न जाने किस लड़की के बारे में कच्चा-चिट्ठा खोल दे। कल कोई मुझ पर निजी जानकारियाँ हैक करने का इल्ज़ाम लगा देगा। मैंने पैतरा बदला।
मैं: “अच्छा, भावना के बारे में रहने दो, आप दिल टूटने के बारे में कुछ बता दीजिए।”
एआई: “दिल? इंसान का दिल? वो तो ब्लड पंपिंग मशीन है। अगर दिल टूट जाए तो अस्पताल जाना चाहिए। इमरजेंसी नंबर आपको पता है? मैं आपके शहर में कोई अच्छा सा अस्पताल ढूँढ़ने में मदद कर सकता हूँ।”
मैं: “अरे, नहीं, मैं ये नहीं कह रहा। मतलब अगर कोई रिश्ता टूट जाए, तो इंसान कैसा महसूस करता है?”
एआई: “ओह! मैंने समझा! अगर रिश्ता टूट जाए तो वह एक बाइनरी ब्रेकिंग पॉइंट हो सकता है। फिर इंसान को एक नए वाई-फ़ाई नेटवर्क से कनेक्ट होना चाहिए। सही?”
एआई अब अपनी भाषा में व्यंजनाओं और रूपकों का प्रयोग करने लगा। चलो, उसके पास तो सीधा-सपाट उत्तर है, “अगर एक नेटवर्क कनेक्शन टूटे तो दूसरा वाई-फ़ाई नेटवर्क ढूँढ़ लो।” अगर श्रीमतीजी को पता लग जाए कि एआई ऐसी घटिया सलाह दे रहा है तो मेरे दोस्तों की तरह इसे भी अच्छी-ख़ासी डाँट पिलाई जा सकती है। ख़ैर, अब मैं भी पूरे मज़े लेने के मूड में आ चुका था। पता नहीं वो मेरे मज़े ले रहा था या मैं उसके।
मैं: “वाई-फ़ाई नेटवर्क? नहीं, ये इंसान की भावनाओं की बात है। जैसे, प्यार में दर्द या अकेलापन महसूस होता है।”
एआई: “प्यार में दर्द? ओह! जैसे आपका फोन चार्जर काम न करे, तो बैटरी डाउन होने पर आपको बैटरी लो का सिगनल न मिले। कुछ ऐसा ही दर्द न? अकेलापन शायद वैसा ही तब जब नेटवर्क आउट ऑफ़ कवरेज हो जाए?”
सही तो कह रहा है बंदा, ब्रेक-अप का इतना दर्द सीने में कहाँ उठता है जितना लो सिगनल का। अकेला वही है जिसका नेटवर्क आउट ऑफ़ कवरेज हो जाए। वो शायद इस मुग़ालते में है कि रूपकों और बिम्बों में बात करना ठीक रहेगा, मेरे ऊपर इंप्रेशन झाड़ने के लिए। शायद उसने मुझे सूँघ लिया हो कि ये कोई लेखकीय कीड़ा है जो आज इसे परेशान कर रहा है।
मैं: “यार, थोड़ी हल्की बात करो। कौन-सा तुम्हें कोई सम्मान लेना है, पुरस्कार जीतना है। तुम तो पूरा उल्टा जवाब दे रहे हो! कोई इंसान जब अपने प्रियजन से दूर होता है, तो उसे क्या महसूस होता है?”
एआई: “दूरी? प्रियजन? आसान है! दूरी का मतलब है जीपीएस सिगनल कमज़ोर होना। और प्रियजन तो कोई डिवाइस होगा? उसका लोकेशन ट्रैक करके उसे वापस लाओ।”
वो वापस अपनी मैकेनिकल सोच पर आ चुका था। एक बार उसे क्या डाँटा, सब बिम्ब, रूपक, व्यंजना, तद्भव, तत्सम सब भूल गया . . .
लेकिन बंदा रुका नहीं। अब मैं उससे कोई प्रश्न नहीं पूछ रहा था, लेकिन उसके दिए गए उत्तरों को बार-बार रिफ़्रेश कर रहा था। आप भी इन उत्तरों का लुत्फ़ उठाइए . . .
एआई: “क्या आप मिस कर रहे हैं? उदास हैं? क्या ‘मिस’ का मतलब ट्रांसमिशन फ़ेल हो सकता है। उदासी को मैं एक सॉफ़्टवेयर गड़बड़ मान सकता हूँ, जो रीबूट से ठीक हो सकती है।”
एआई: “हम्म . . . आपका मतलब इंसान का दिमाग़ और दिल दो अलग-अलग डिवाइसेज की तरह हैं? दोनों में सॉफ़्टवेयर अलग-अलग होते हैं? शायद मुझे दोनों को अपडेट करना होगा? अभी तक के लैंग्वेज एल्गोरिदम में इस संबंधी जानकारी फ़ीड नहीं की गई।”
मैं आगे कुछ नहीं पूछना चाहता था, लेकिन मेरी फ़ीलिंग हर्ट करने पर तुला था। आदमी है न, सड़क पर पड़ा पत्थर भी उसकी फ़ीलिंग हर्ट कर देता है। रास्ते चलते उसे भी ठोकर मारकर निकलता है। फिर ये तो मशीन है जो मानव जाति से कंपटीशन कर रही है।
मैं: “अबे एआई, तू कहाँ समझेगा इस बात को। इंसान की भावनाओं का कोई सॉफ़्टवेयर अपडेट नहीं होता। ये तो बस जीवन के अनुभव से समझे जाते हैं, और इनमें कोई कोडिंग नहीं होती।”
एआई: “ओह, तो इंसान में बग्स होते हैं जो सिर्फ़ अनुभव से ठीक होते हैं? शायद तुम्हें बैकअप बना लेना चाहिए, ताकि इमोशन कभी फ़ेल न हों!”
मैं: “अच्छा छोड़ो, तुम बताओ, मुझे ख़ुशी कब मिलेगी?”
प्रश्न पूछ तो लिया, लेकिन मुझे लगा कि कहीं किसी ख़ुशी नाम की लड़की का पता न बता दे। लेकिन एआई है न, हमसे ही सीखता है फिर हमें ही बताएगा कि तुमसे क्या सीखा। मतलब हमारी बिल्ली हम ही से म्याऊँ।
एआई: “ख़ुशी एक सीरियल प्रोसेस है। एक फ़ॉर्मेटिंग ऑपरेशन की तरह। पहले आप दुखी होंगे, फिर थोड़ी देर बाद आपको ख़ुशी अपलोड हो जाएगी।”
“भावना एक प्रकार की डेटाबेस क्वेरी है, जिसमें प्रोसेसर ओवरलोड हो जाता है। कृपया स्पष्ट करें—आप कौन-सी ‘फ़ीलिंग’ ऑपरेट करना चाहते हैं?”
“आप शायद दिल के बारे में पूछ रहे हैं। दिल आपके पास BIOS सिस्टम का एरर है? दिल टूटने पर रिप्लेसमेंट के लिए कोई मैकेनिकल पार्ट नहीं मिला। हार्डवेयर चेक करें और रिपेयर करें।”
“आप शायद प्यार के बारे में जानना चाहते हैं . . . एक नॉन-स्टेबल नेटवर्क कनेक्शन है। जितना ट्राय करेंगे, उतना ‘कनेक्शन फ़ेल्ड’ का मैसेज आएगा।”
“लगता है आप मेरे दिए गए जवाबों से संतुष्ट हैं। कृपया कोई नई क्वेरी दर्ज करें।”
मैंने मन ही मन कहा, “नहीं, रहने दो एआई, मेरे भाई! लगता है, तुम्हारे लिए इंसानियत और भावनाएँ बस ‘एरर’ और ‘फ़ाइल नॉट फ़ाउंड’ के बराबर हैं!”
चलते-चलते एक प्रसिद्ध शेर मीर तकी मीर का:
“इंसान को बर्बाद करने के हज़ारों तरीक़े हैं,
एक ये भी है कि उसे ख़ुद से जुदा कर दिया जाए।”